Tuesday 24 April 2012


जिन्दगी को इतना आसान मत समझ ,
जिन्दगी को इतना घमासान भी मत समझ ,
जिन्दगी मुश्किल है मगर नामुमकिन नहीं ,
बस ऱब पे भरोसा और हौसलों की उडान तू रख .


Tuesday 3 January 2012

हरा-हरा है रंग मेरा ,हरी पेड़ की डाली ,
इस टहनी से उस टहनी पे उडती मै मतवाली ,
पेड़ों की छत पर बैठ मै देखूं सूरज की लाली ,
साँझ ढले पेड़ों के झुरमुट में ढुडूँ सेज तिनकों वाली ,
निसर्ग का गुंजन हूँ मैं ,है जीवन मेरा हरियाली . 

Monday 12 December 2011

मेरे लिए कुछ ख़ास हो तुम .......


सर्दी में खिली धूप का एहसास हो तुम ,
मेरे लिए कुछ ख़ास हो तुम  .......

प्रेम रंग में डूबी राधा-कृष्ण की रास हो तुम ,
मेरे लिए कुछ ख़ास हो तुम  .......

मेरे दिल के वीराने में जीने की आस हो तुम ,
पतझड़ में बहार आने का एहसास हो तुम ,
मेरे लिए कुछ खास हो तुम  .......

चांदनी बिखेरती पूनम की रात हो तुम ,
भोर में ताजगी भरी ठंडी सांस हो तुम ,
मेरे लिए कुछ खास हो तुम  .......
तुम्हें अब मै खो नहीं सकता ,तुम मेरे दिल में रहती हो ,
हो तुम कहीं भी पर अब हमेशा मेरे पास हो तुम ,
मेरे लिए कुछ खास हो तुम  .......

Thursday 3 November 2011

जीने का सलीका

  भटकी हुई राहों से निकला हूँ ,
  गर्द हवाओं से निकला हूँ ,
  गम की फिजाओं से निकला हूँ ,
  टूटे दिल की आहों से निकला हूँ , 
गिरते-गिरते सम्हला हूँ ,सम्हल कर भी गिरा हूँ ,
  कुछ खो कर पाया है ,कुछ पा कर खोया है ,
  अँधेरे वक़्त में भी हौसले को संजोया है ,
  खुद ही खुद को समझाया है ,
  तब जीने का सलीका पाया है .

Monday 29 August 2011

आधी जीत हुई है .....आधी... अभी पूरी जीत बाकी है-अन्ना हजारे

देखा अन्ना जी ने कर दिया सरकार को टस-से-मस ,
कुटिल नेताओं की चालों के कर दिए हौसले पस्त ,
जनता के हौसले देख सब नेता खा गये गश ,
नेताओं की संसद को कर दिया जनता के हस्तगत ,
जनता का ,जनता के लिए ,जनता के द्वारा ,
हुआ जनांदोलन बिना रक्त ,
संसद के नेता ,जन-संसद के आगे हुए नत ,
जीत भले है आधी पर गर्व से ऊँचा हो गया ,
लोकतंत्र का मस्तक .  
 

Wednesday 17 August 2011

IN SUPPORT OF "IAC"&THE STRONG "JANLOKPAL BILL"

   कही कुछ सुलग रहा है जरुर ,
   देश में कुछ गलत घट रहा है जरूर ,
   नियते-हुक्मरानों में कुछ खोट है जरुर ,
   वरना यूँ ही उमड़ता जनसैलाब तो नहीं है ,
   यूँ ही आता इन्कलाब तो नहीं है .

Tuesday 16 August 2011

अन्ना जी का जनलोकपाल के लिए दुबारा अनशन-१६अगस्त


आजाद तो हम हैं,चलो थोडा और आजाद हो जाये ,
जनलोकपाल लाकर भ्रस्टाचार की नीव हिलाए ,
सरकारें जो सोयी है चौसठ सालों से ,
जनता जो त्रस्त है इनके भ्रस्टाचारों  से ,
चलो एक मजबूत ठोकर इनको लगाये ,
एक नया इन्कलाब लाकर स्वर्णिम हिंदुस्तान बनाये. 

Thursday 28 July 2011

खामखाँ खोया है तू ख्यालों में ,
छोड़ दे अँधेरे आजा उजालों में ,
अब नहीं जवाब रहा,सवालों में ,
अब नहीं नशा रहा, मय के प्यालों में ,
कुछ नहीं बचा अब दिल के फासलों में,
उलझ के कोई गिरता नहीं घर के जालों में ,
जिन्दगी तो जिन्दा है बस हौसलों में ,
सलीका जीने का बनता है जिन्दगी के उसूलों में .

Monday 25 July 2011

इन्सान मतलबी हो गया है ,
जिसे समझते थे आसमान ,
वो जमीन हो गया है ,
कमजोर अब उसका जमीर हो गया है ,
           जब से वो अमीर हो गया है ............

मनोदशा

   ये मन तू ठहरता क्यूँ नहीं ,
   जब भी भर जाता है तो सम्हलता क्यूँ नहीं ,
   दुःख ,ख़ुशी ,अवसाद ,प्रतिशाद
   इतनी किस्मो से होकर भी तू बदलता क्यों नहीं ,
   भटकने,बहकने,गिरने से तुझे कितना सम्हाला मैंने ,
   मुझे तो कोई सम्हालता भी नहीं ,
   तू रहता है भीतर,मगर भागता है बाहर,
   तू खुद में ही सिमटता क्यूँ नहीं ,
   इस दुनिया में इतना भटकने के बाद भी ,
   तू प्रभु में रमता क्यों नहीं ,
   तू चंचल भी है,वेगवान भी है ,
   पर तेरा एक दूसरा पहलु भी है ,
   तू कभी-कभी बहुत कुछ सह लेता है ,
   मगर किसी से कुछ कहता भी नहीं .
 

Wednesday 13 July 2011

Blast in javeri bazar,dadar,opera house at7.00pm

{{फिर एक जख्म}}
   कुछ जिंदगियां फिर खामोश हो गयी बम के धमाकों में ,
   मुंबई फिर नज़र आने लगी दहशत के सन्नाटों में ,
   कुछ और कामयाबियां जुड़ गयी दहशतगर्दों के खातों में ,
   कुछ और नाकामयाबियाँ नज़र आई हमारे सियासतदारों में ,
   उनके यहाँ(in west countries) तो अपाहिज भी जीतें है शान से ,
   हमारे यहाँ तो अच्छे-भले भी बिना कसूर जातें हैं जान से ,
   अब भी कोई सुरक्षा का इंतजाम नहीं करेगा ,
   बस भाषणबाजी से अपनी चमकाने का काम करेगा ,
   बस कुछ दिनों तक रहेगा हाईईईई-अलर्ट,
   उसके बाद फिर ये सियासतदा करेंगे देश का बेडा-गर्क . 

Tuesday 28 June 2011

तनहा ही रहने दे ...


अए जिन्दगी अब मुझको तू तनहा ही रहने दे ...
  मत ढूढ़ कोई हमसफ़र मुझको खुद में ही बहने दे ,
 
  उसकी यादों को भूला के दिल को किया है खाली ,
  अब खाली हूँ तो मुझको खाली ही रहने दे ......
  अए जिन्दगी अब मुझको तू तनहा ही रहने दे ...
 
  दिल के वीराने में जो एक पीर पला करती है ,
    खाली दिल के सन्नाटे में जो एक गूँज उठा करती है ,
  उस अनसुने को अब तू अनसुना ही रहने दे .....

  अए जिन्दगी अब मुझको तू तनहा ही रहने दे ...
  मत ढूढ़ कोई हमसफ़र मुझको खुद में ही बहने दे ,



Sunday 26 June 2011

"बेरुखी"

   बेरुखी---एक क्षण
तू जब पास थी तब लगता था ,तेरी बेरुखी से तन्हाई अच्छी ,
अब जब तन्हाई है तब लगता है ,इस तन्हाई से तेरी बेरुखी अच्छी ,
तेरे आ कर चले जाने से बेहतर था, तेरा न आना,
जलते हुए अरमानों को कुछ यूँ जलाना ,
मुस्करा कर मिलना हमारे दिल से मगर ,
अपना दिल हमसे खाली रखना .


   बेरुखी--- एक पल
उसकी बेरुखी ने हमपे इतना सितम ढाला ,
के होके मजबूर हमने उसकी तस्वीर तक जला डाला ,
सोचा था उसके जाने का गम ना करेंगे ,
अपनी तन्हाई में उसकी तस्वीर साथ रखेंगे ,
उसकी तस्वीर से उसके होने का एहसास पास रखेंगे ,
इसी बहाने दिल को आबाद रखेंगे,पर ऐसा हो ना सका ,
उसके लिए अपनी खुद्दारी खो ना सका ,
उसकी जुदाई में मै देवदास हो ना सका ,
प्यार में रखी उसकी शर्तों को ढो ना सका ,
अपने अरमानों का बलिदान तो था मंज़ूर मुझे ,
पर अपने उसूलों से समझौता कर ना सका ,
उसका इंतज़ार तो था मंज़ूर मुझे ,
पर उसका व्योवहार सह ना सका ,
उसकी बेरुखी से, उसके इंतज़ार में सुकून था ,
पर ये शायद मेरा जूनून था क्योंकि ,
जो इतना चटक था वो मेरे ही दिल का खून था .


     बेरुखी--- एक लम्हा 
तेरी यादों ने हमें अब तक तनहा रखा है ,
समझ नहीं पाते... के अब जीने में क्या रखा है .
तेरी बेरुखी ने हमें दिलजला बना दिया ,
समझ नहीं पाते... अब दिल लगाने में क्या रखा है .
तेरे आ कर चले जाने से दिल की दुनिया उजड गयी ,
समझ नहीं पाते... अब घर बसाने में क्या रखा है .
तेरी आवाज़ों ने हमें अब तक गुंजायमान रखा है ,
समझ नहीं पाते... अब ख़ामोशी में क्या रखा है .
तेरी बेरुखी ने दिल की उमंगें छीन ली ,
समझ नहीं पाते... अब दिल के वीराने में क्या रखा है .
मेरी नीरस मायूसी में तेरे आने से हौसला आ गया था ,
समझ नहीं पाते... तेरे जाने पर अब हौसलों की उडान में क्या रखा है .
तुझे खोने के डर ने हमें अब तक डरा कर रखा है ,
समझ नहीं पाते... अब तुझको पाने में क्या रखा है .


   बेरुखी---एक अरसा
मै तो वही था ,मै तो वहीं हूँ ,
तुने जहाँ छोड़ा मुझे .........,
पाया नहीं कुछ ,कुछ भी खोया नहीं है ,
तेरी बेरुखी से मिला इतना मुझे ........,
तेरी बेरुखी से आजाद हूँ पर ,
तेरी ही यादों में बर्बाद हूँ ,
ये कैसी किस्मत मिली मुझे ........,
ना मै भरा हूँ ना मै खाली हूँ ,
तेरी चाहत ने दिया इतना मुझे .......,
ना ही तू याद है ना ही मै भूला तुझे ,
कैसी ये तेरी चाहत मिली मुझे ........,
ना मै खुद से बेगुनाह हूँ ना मै खुद से गुनहगार हूँ ,
तेरा ये कैसा इंसाफ मिला मुझे ........,
ना चल सका हूँ मै ना ही रुका हूँ मै ,
कैसी ये राह मिली मुझे .........
                                                                                                           " कुमार "

Thursday 16 June 2011

जीने की जिद्द

ठोकरें है हर कदम पे , तो क्या जीना छोड़ देंगे ,...........
मिलती है हार हर कदम पे ,तो क्या लड़ना छोड़ देंगे ,...........

हर कोशिश बदल जाती है मायूशी में ,तो क्या मुस्कुराना छोड़ देंगे ,...........
मय और साकी से है परहेज,तो क्या अपना पैमाना छोड़ देंगे ,...........

जिन्दगी कभी आई नहीं खुल कर मेरी बाँहों में ,
तो क्या जीने का बहाना छोड़ देंगे ,...........

बदनसीबी है अपना मुक्कद्दर,तो क्या नसीब आजमाना छोड़ देंगे ,...........
बेरंग है जिन्दगी का हर पहलू , तो क्या होली मनाना छोड़ देंगे ,...........

असफलताओं से रुंध हैं भले राहें मेरी ,पर ऐ भाग्यविधाता
मेहनती हाथों के माथों की लकीरें ,क्या पसीना बहाना छोड़ देंगी ............
                                                                                              " कुमार "

Wednesday 8 June 2011

  08jun2011
   एक खुशखबर ...,कुछ साल पहले कहीं दीवार पर लगे पोस्टर में पढ़ा था,
   "नब्बे प्रतिशत बेईमान,फिर भी मेरा भारत महान "ये शायद किसी फिल्म की टैग लाइन थी.
   लेकिन ये एक सच्चाई भी थी.लेकिन कल जब "लाइव इंडिया"(news channel) पर अन्ना हजारे
   जी का संवाद चल रहा था तो नीचे एक लाइन आ रही थी के "देश में 54 प्रतिशत लोग बेईमान है".