शराब नहीं शराब की बू से नफरत है ,शराबियों के हजूम से नफरत है ,
शराब के पैमाने से नहीं ,शराब के मैखाने से नफरत है ,
शराब की खुमारी से नहीं , उसकी बीमारी से नफरत है ,
शराब के साहिल पे बैठ कर पीने से नहीं ,
शराब की महफीलों से नफरत है ,
शराब के रोजगार से नहीं,
उसके बढते व्यापार से,उसके इश्तिहार से नफरत है,
दो घूँट पी कर चहकने से नहीं ,
पूरी बोतल खाली कर बहकने से नफरत है ,
प्यार में मिली बेरुखी हमें इतनी ,
के सोचा बन जाये देवदास मगर ,
देवदास की दीवानगी से नहीं मगर ,
उसके शराब में डूब कर मर जाने से नफरत है.
" कुमार "