Thursday 28 July 2011

खामखाँ खोया है तू ख्यालों में ,
छोड़ दे अँधेरे आजा उजालों में ,
अब नहीं जवाब रहा,सवालों में ,
अब नहीं नशा रहा, मय के प्यालों में ,
कुछ नहीं बचा अब दिल के फासलों में,
उलझ के कोई गिरता नहीं घर के जालों में ,
जिन्दगी तो जिन्दा है बस हौसलों में ,
सलीका जीने का बनता है जिन्दगी के उसूलों में .

Monday 25 July 2011

इन्सान मतलबी हो गया है ,
जिसे समझते थे आसमान ,
वो जमीन हो गया है ,
कमजोर अब उसका जमीर हो गया है ,
           जब से वो अमीर हो गया है ............

मनोदशा

   ये मन तू ठहरता क्यूँ नहीं ,
   जब भी भर जाता है तो सम्हलता क्यूँ नहीं ,
   दुःख ,ख़ुशी ,अवसाद ,प्रतिशाद
   इतनी किस्मो से होकर भी तू बदलता क्यों नहीं ,
   भटकने,बहकने,गिरने से तुझे कितना सम्हाला मैंने ,
   मुझे तो कोई सम्हालता भी नहीं ,
   तू रहता है भीतर,मगर भागता है बाहर,
   तू खुद में ही सिमटता क्यूँ नहीं ,
   इस दुनिया में इतना भटकने के बाद भी ,
   तू प्रभु में रमता क्यों नहीं ,
   तू चंचल भी है,वेगवान भी है ,
   पर तेरा एक दूसरा पहलु भी है ,
   तू कभी-कभी बहुत कुछ सह लेता है ,
   मगर किसी से कुछ कहता भी नहीं .
 

Wednesday 13 July 2011

Blast in javeri bazar,dadar,opera house at7.00pm

{{फिर एक जख्म}}
   कुछ जिंदगियां फिर खामोश हो गयी बम के धमाकों में ,
   मुंबई फिर नज़र आने लगी दहशत के सन्नाटों में ,
   कुछ और कामयाबियां जुड़ गयी दहशतगर्दों के खातों में ,
   कुछ और नाकामयाबियाँ नज़र आई हमारे सियासतदारों में ,
   उनके यहाँ(in west countries) तो अपाहिज भी जीतें है शान से ,
   हमारे यहाँ तो अच्छे-भले भी बिना कसूर जातें हैं जान से ,
   अब भी कोई सुरक्षा का इंतजाम नहीं करेगा ,
   बस भाषणबाजी से अपनी चमकाने का काम करेगा ,
   बस कुछ दिनों तक रहेगा हाईईईई-अलर्ट,
   उसके बाद फिर ये सियासतदा करेंगे देश का बेडा-गर्क .