Sunday 26 June 2011

"बेरुखी"

   बेरुखी---एक क्षण
तू जब पास थी तब लगता था ,तेरी बेरुखी से तन्हाई अच्छी ,
अब जब तन्हाई है तब लगता है ,इस तन्हाई से तेरी बेरुखी अच्छी ,
तेरे आ कर चले जाने से बेहतर था, तेरा न आना,
जलते हुए अरमानों को कुछ यूँ जलाना ,
मुस्करा कर मिलना हमारे दिल से मगर ,
अपना दिल हमसे खाली रखना .


   बेरुखी--- एक पल
उसकी बेरुखी ने हमपे इतना सितम ढाला ,
के होके मजबूर हमने उसकी तस्वीर तक जला डाला ,
सोचा था उसके जाने का गम ना करेंगे ,
अपनी तन्हाई में उसकी तस्वीर साथ रखेंगे ,
उसकी तस्वीर से उसके होने का एहसास पास रखेंगे ,
इसी बहाने दिल को आबाद रखेंगे,पर ऐसा हो ना सका ,
उसके लिए अपनी खुद्दारी खो ना सका ,
उसकी जुदाई में मै देवदास हो ना सका ,
प्यार में रखी उसकी शर्तों को ढो ना सका ,
अपने अरमानों का बलिदान तो था मंज़ूर मुझे ,
पर अपने उसूलों से समझौता कर ना सका ,
उसका इंतज़ार तो था मंज़ूर मुझे ,
पर उसका व्योवहार सह ना सका ,
उसकी बेरुखी से, उसके इंतज़ार में सुकून था ,
पर ये शायद मेरा जूनून था क्योंकि ,
जो इतना चटक था वो मेरे ही दिल का खून था .


     बेरुखी--- एक लम्हा 
तेरी यादों ने हमें अब तक तनहा रखा है ,
समझ नहीं पाते... के अब जीने में क्या रखा है .
तेरी बेरुखी ने हमें दिलजला बना दिया ,
समझ नहीं पाते... अब दिल लगाने में क्या रखा है .
तेरे आ कर चले जाने से दिल की दुनिया उजड गयी ,
समझ नहीं पाते... अब घर बसाने में क्या रखा है .
तेरी आवाज़ों ने हमें अब तक गुंजायमान रखा है ,
समझ नहीं पाते... अब ख़ामोशी में क्या रखा है .
तेरी बेरुखी ने दिल की उमंगें छीन ली ,
समझ नहीं पाते... अब दिल के वीराने में क्या रखा है .
मेरी नीरस मायूसी में तेरे आने से हौसला आ गया था ,
समझ नहीं पाते... तेरे जाने पर अब हौसलों की उडान में क्या रखा है .
तुझे खोने के डर ने हमें अब तक डरा कर रखा है ,
समझ नहीं पाते... अब तुझको पाने में क्या रखा है .


   बेरुखी---एक अरसा
मै तो वही था ,मै तो वहीं हूँ ,
तुने जहाँ छोड़ा मुझे .........,
पाया नहीं कुछ ,कुछ भी खोया नहीं है ,
तेरी बेरुखी से मिला इतना मुझे ........,
तेरी बेरुखी से आजाद हूँ पर ,
तेरी ही यादों में बर्बाद हूँ ,
ये कैसी किस्मत मिली मुझे ........,
ना मै भरा हूँ ना मै खाली हूँ ,
तेरी चाहत ने दिया इतना मुझे .......,
ना ही तू याद है ना ही मै भूला तुझे ,
कैसी ये तेरी चाहत मिली मुझे ........,
ना मै खुद से बेगुनाह हूँ ना मै खुद से गुनहगार हूँ ,
तेरा ये कैसा इंसाफ मिला मुझे ........,
ना चल सका हूँ मै ना ही रुका हूँ मै ,
कैसी ये राह मिली मुझे .........
                                                                                                           " कुमार "

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