Thursday 16 June 2011

जीने की जिद्द

ठोकरें है हर कदम पे , तो क्या जीना छोड़ देंगे ,...........
मिलती है हार हर कदम पे ,तो क्या लड़ना छोड़ देंगे ,...........

हर कोशिश बदल जाती है मायूशी में ,तो क्या मुस्कुराना छोड़ देंगे ,...........
मय और साकी से है परहेज,तो क्या अपना पैमाना छोड़ देंगे ,...........

जिन्दगी कभी आई नहीं खुल कर मेरी बाँहों में ,
तो क्या जीने का बहाना छोड़ देंगे ,...........

बदनसीबी है अपना मुक्कद्दर,तो क्या नसीब आजमाना छोड़ देंगे ,...........
बेरंग है जिन्दगी का हर पहलू , तो क्या होली मनाना छोड़ देंगे ,...........

असफलताओं से रुंध हैं भले राहें मेरी ,पर ऐ भाग्यविधाता
मेहनती हाथों के माथों की लकीरें ,क्या पसीना बहाना छोड़ देंगी ............
                                                                                              " कुमार "

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