Sunday 22 May 2011

शराब-का-पैमाना

     शराब नहीं शराब की बू से नफरत है ,शराबियों के हजूम से नफरत है ,

     शराब के पैमाने से नहीं ,शराब के मैखाने से नफरत है ,
     शराब की खुमारी से नहीं , उसकी बीमारी से नफरत है ,

     शराब के साहिल पे बैठ कर पीने से नहीं ,
     शराब की महफीलों से नफरत है ,

     शराब के रोजगार से नहीं,
      उसके बढते व्यापार से,उसके इश्तिहार से नफरत है,

     दो घूँट पी कर चहकने से नहीं ,
     पूरी बोतल खाली कर बहकने से नफरत है ,

     प्यार में मिली बेरुखी हमें इतनी ,
     के सोचा बन जाये देवदास मगर ,

     देवदास की दीवानगी से नहीं मगर ,
     उसके शराब में डूब कर मर जाने से नफरत है.
                                                                         " कुमार "

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